गीत/नवगीत

आघात कितना भी गहरा हो

तुमने भले ही ठगा हो हमको, हम बदले में ठगी न करते।
आघात कितना भी गहरा हो, हम रिश्तों में बदी न करते।।
तुमने भले ही हमें फसाया।
हमने तुम पर प्यार लुटाया।
नहीं उजाड़ा कभी किसी को,
प्रेमी संग है तुम्हें बसाया।
अपने बंधन काट रहे हम, तुमसे कोई हँसी न करते।
आघात कितना भी गहरा हो, हम रिश्तों में बदी न करते।।
धोखे से नहीं रिश्ते बनते।
कानूनों से विश्वास न पलते।
विश्वासघात कर प्रेम चाहतीं,
तलवारों से पुष्प न खिलते।
जिसकी थीं, उसको ही सौंपी, किसी की चीज कभी न हरते।
आघात कितना भी गहरा हो, हम रिश्तों में बदी न करते।।
समय बहुत अब बीत गया है।
हमारा नहीं कोई मीत भया है।
तुम्हारी चोट थी इतनी गहरी,
धोखा तुम्हारा जीत गया है।
कपट कपट का मित्र न होता, कपटी से भी कपट न करते।
आघात कितना भी गहरा हो, हम रिश्तों में बदी न करते।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)