बाल कविता

हाथी वाला

हाथी आया हाथी आया ।

हाथी वाला हाथी लाया ।
शोर मच गया चारो ओर ।
बबलू जी पर चले ना जोर ।
            बोले करना मुझे सवारी ।
            हाथी वाले करो तैयारी ।
            हाथी को तुम नीचे लाओ ।
            पीठ पर उसके मुझे बिठाओ ।
बहुत दिनों से मन था मेरा ।
लगाऊँ राजा बन कर फेरा ।
मैं भी हीरो बन जाऊँगा।
मित्रों में भी तन जाऊँगा।
             बाल सुलभ ये बाते भोली ।
             इतनी सुंदर सुंदर बोली ।
             हाथी वाला सुन मुस्काया।
             बबलू जी को गोद उठाया ।
   और हाथी पर बिठा दिया।
   गली मुहल्ला घुमा दिया।
   बबलू जी की बढ़ गई शान।
   हाथी वाला खाये पान ।
— साधना सिंह 

साधना सिंह

मै साधना सिंह, युपी के एक शहर गोरखपुर से हु । लिखने का शौक कॉलेज से ही था । मै किसी भी विधा से अनभिज्ञ हु बस अपने एहसास कागज पर उतार देती हु । कुछ पंक्तियो मे - छंदमुक्त हो या छंदबध मुझे क्या पता ये पंक्तिया बस एहसास है तुम्हारे होने का तुम्हे खोने का कोई एहसास जब जेहन मे संवरता है वही शब्द बन कर कागज पर निखरता है । धन्यवाद :)