कविता

जरा मुस्कुरा दो

इतना भी खामोश न रहो
कि खामोशी भी शरमा जाते,
अपना सूरतेहाल ऐसा न बनाओ
कि चेहरा देखकर बच्चे डर जाएं।
माना की दर्द बहुत है सीने
पर इतना गहरे भी न उतर जाओ
कि जान पर ही बन आये।
जिंदगी इतनी आसान भी नहीं है
कि रोने से सब हल मिल जाये,
कुछ भी ऐसा न करो मेरे दोस्त
कि मरने से पहले मौत आ जाये।
अच्छा है मायूसी को विदा कर दो
ग़म जितने भी हों,उनको अलविदा कह दो
एक नये जीवन की शुरुआत तो करो
बस एक बार जरा मुस्कुरा तो दो।
पल में बदलाव की बयार बहने लगेगी
जिंदगी फूल सी खिलने लगेगी,
मुस्कुराना है अगर जीवन के हर हिस्से में
शुरुआत अभी करो, जरा मुस्कुरा तो दो।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921