कविता

याद बहुत तुम आते हो

हाथ पकड़ कर मेला में
जब हमको तुम ले जाते थे
पानी पुड़ी की ठेला पर
चार आने में फुसलाते थे
जिद करने पर गुब्बारा दे
रोने पर चुप कराते थे
छड़ी के बल पर पढ़ने के लिए
किताब स्लेट का झोला पकड़ाते थे
छुट्टी हो जाने पर तुम घर में
हँस कर खातिर में लग जाते थे
तेरी तस्वीर जेहन में आती है
ऑंखें गम से नम हो जाता है
कहाँ छुपे हो नभ पे पापा
याद बहुत ही आते हो
तेरे डॉट डपट से पापा
महका है मेरा यह संसार
तेरी निर्देशन में पापा
हँसता है छोटा परिवार
बाल गोपाल की किलकारी से
गुंज रहा है मेरा ये घर परिवार
तेरी रहम करम से मेरा
महक रहा है गुलशन गुलजार
तेरे नाम से रौशन है तेरा
वंशावली का यह व्यापार
जब जब जेहन में तुम आते हो
आँखों से अश्क बहा जाते हो
कहाँ छुपे हो नभ में पापा
याद बहुत ही तुम आते हो

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088