बाल कविता

कोयल और कौआ

काली काली कोयल है
कौए जैसी लगती है
कोयल पतली होती है
कौआ मोटा होता है
कोयल कूँ कूँ करती है
मीठी बोली बोले है
कौआ काव काव करता है
लगता नही है अच्छा है
कोयल सुंदर लगती है
कौआ बदसूरत होता है
कोयल सयानी होती है
बच्चे कोए से अपने पलबाती है

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020