गीत/नवगीत

गीत

भूलो मत मेरे यार पुराने यारों को।
देते रहना प्यार पुराने यारों को।
काग़ज़ की कश्ती से लेकर कालेज  तक,
बीच बुढ़ापे सैर सुबह की पार्क तक,
मिलता रहे सत्कार पुराने यारों को।
भूलो मत मेरे यार पुराने यारों को।
जबभी अपने गांव में तुम  आओगे,
मुमकिन कि हमारे घर पांवों पाओगे,
दे जाना दीदार पुराने यारों को।
भूलो मत मेरे यार पुराने यारों को।
अगर अचानक ही इकट्ठे हो जाओ,
मैख़ाने में हास्य ठिठोली फिर पाओ,
करना ना इनकार पुराने यारों को।
भूलो मत मेरे यार पुराने यारों को।
जिस में बीते वक़्तों का सरमाया है,
इक गुलदस्ता चित्त के साथ सजाया है,
यादों का भंडार पुराने यारों को।
भूलो मत मेरे यार पुराने यारों को।
फिर से एक पुरानी ग़ज़ल सुनाता हूं,
अपनी ठाठ जवानी में फिर आता हूं,
महफ़िल के श्रृंगार पुराने यारों को।
भूलो मत मेरे यार पुराने यारों को।
विश्व विद्यालय की नुक्कड़ में आज भी है,
जिस के नीचे मिलने के कई राज़ भी है,
भूले ना कचनार पुराने यारों को।
भूलो मत मेरे यार पुराने यारों को।
खट्टी-मीठी यादें सब दे जाऊंगा,
यादों की फरियादें सब दे जाऊंगा,
इक सुंदर संसार पुराने यारों को।
भूलो मत मेरे यार पुराने यारों को।
दुःख सुख भीतर रहबर बन कर चलते थे,
हर आदत अनूकूल बराबर ढलते थे,
कहते सृजनहार पुराने यारों को।
भूलों मत मेरे यार पुराने यारों को।
ग़ज़ल कहानी कविता कवित्त रूबाई में,
बालम, बीते वक़्तों की शहनाई में,
दिया है सभ्याचार पुराने यारों को।
भूलो मत मेरे यार पुराने यारों को।
— बलविंदर बालम 

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409