कविता

सुख दुख की हमजोली

 

सुख दुख का अटूट रिश्ता है

मगर दोनों एक दूसरे के

एकदम विपरीत रास्ता है।

दोनों के आचार विचार आपस में

छत्तीस का आंकड़ा रखते हैं,

बावजूद इसके दोनों चंद कदमों की

दूरी पर ही रहते हैं।

दोनों का आपस में रिश्ता भी

बड़ा ही अजीबोगरीब है,

फिर भी इनमें बड़ी तहजीब है,

दोनों एक दूसरे के मामले में

कभी हस्तक्षेप नहीं करते,

दोनों कभी भी साथ साथ नहीं रहते।

यही तो हमारे लिये इनका संदेश है

सुख दुख हमजोलियों का परिवेश है।

इनका आना जाना लगा ही रहेगा,

हमारे जीवन में इनका

कभी न स्थाई ठिकाना है।

बस सुख दुःख जैसे हमजोली हैं

और आना जाना है

हमें भी इनके साथ

बस वैसे ही हमजोलियाँ निभाना है।

 

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921