1.
सावन महीना आ गया, मन है भाव विभोर।
पपीहे कुहू-कुहू कर रहे, नृत्य कर रहे मोर।
नृत्य कर रहे मोर, छायी चहुँ दिश हरियाली।
मेघ कर रहे नाद, घटाएँ छायी काली।
कहे विनय सज गए, शिवालय मंदिर पावन।
आया शिव का प्रिय, महीना रिमझिम सावन।
2.
राधा रानी झूला झूलें, नन्हीं पड़े फुआर।
झोंटे देवें सखी सहेली, गाएं गीत मल्हार।
गाएं गीत मल्हार, चले पुरवाई पावन।
झूमें नाचे मोर, मस्त महीना सावन।
कहे विनय मिल जाए प्यार हमको भी आधा।
झूलूँ श्याम के संग कहे सखियों से राधा।
3.
सावन आया सखी री, पड़ने लगी फुहार।
पपिहे भी करने लगे, अब बादल से प्यार।
अब बादल से प्यार, पड़े पेड़ों पे झूले।
कोयल गीत सुनाए, टर टर दादुर बोले।
कहें विनय घनघोर घटाएँ हैं मनभावन।
चलो मल्हारें गाएं,आया रिमझिम सावन।
4
सजनी सखी से कह रही, घिरी घटा घनघोर।
खुश हैं दादुर और पपीहे, नृत्य कर रहे मोर।
नृत्य कर रहे मोर, कमलदल खुशी से फूले।
अमुआ के पेड़ों पर,देखो पड़ गए झूले।
कहे विनय इस विरह की, व्यथा किसे समझाएं।
जो सावन है प्यास बुझाता, वो ही आग लगाए।
— विनय बंसल