कविता

रिश्ते

रिश्ते कभी मोहताज नहीं होते
ये तो संबंधों के ताज होते हैं,
कभी होते हैं खट्टे तो कभी मिठे,
जीवन के ये अंदाज होते हैं।

रिश्तों को बनाना सीखो
बना लिए तो निभाना,
थोड़ा करो विश्वास, थोडा़ करो त्याग
बदले और द्वैश का कर दो परित्याग।

जीना है तो “हम” में जीना सीखो
वर्ना’अहम’ में जीने में क्या रखा है
एक दिन सब रह जाएगा यहाँ
नहीं जाएगा साथ कुछ वहाँ।

बड़े बुजुर्गों का करो आदर सत्कार
छोटो को दो स्नेह और प्यार
ताकि मिले भविष्य की पीढ़ियों को संस्कार
यही वो कर्म है जो देता है तुमको आत्म पुरष्कार।

— मृदुल