गीत/नवगीत

रुपैया

जल्दी किसी की पकड़ न आए अपनी धुन में रहता है
इसके पांव न इसके पहिया फिर भी चलता रहता है ।

सबको कराए यह ताता थैया, कितना ताकतवर है रुपैया ।।

नील गगन की सैर कराता अपनों से मिलवाता है
झट से बिगड़े काम बनाता मंजिल तक पहुंचाता है ।

पास है यह तो, सब कहते भैया, कितना ताकतवर है रुपैया ।।

सुख सुविधा सब, इसी से आती मनोकामनाएं, पूर्ण हो जाती
हैं पास यह तो, इज्जत बढ़ जाती दूरियां मिनटों में, तय हों जाती ।

क्षण में करें, कमाल यह हैया, कितना ताकतवर है रुपैया ।।

जो जन मेरी, इज्जत करता कष्ट सब उसके, हर लेता हूं
उसके मैं, भंडारे भरता झट मुंह मांगा, वर देता हूं ।

कलियुग में तो, मैं ही खिवैया, कितना ताकतवर है रुपैया ।।

पड़ोसी मुल्कों की, देखकर हालत दिल ही दिल, मुस्काता है
अपनी इज्जत, बची है अब तक सोंच सोंच, इतराता है ।

जब घमंड, टूटेगा इसका याद आ जाएगी, इसको मैया
कितना ताकतवर है रुपैया ।।

इसकी आन बान, अलबेली माया जाल, रचाता है
चाहे जितना, संग्रह कर लो ‌‌ लालच बढ़ता, जाता है ।

शुभ कर्मों में खर्च करें तो पार लगेगी जीवन नैया
कितना ताकतवर है रुपैया ।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई