संस्मरण

प्रेरक प्रेम कहानी

एक मिस्ड कॉल से शुरू हुआ प्रेमिका ममता और दोनों पांव से विकलांग अमित डोभाल का प्यार का सफर आखिरकर अंजाम तक पहुंचा और आखिर में दोनों ने शादी के बंधन में बंधने का फैसला किया । प्रेमिका ममता महीनों तक प्रेमी अमित डोभाल विकलांग से मोबाइल पर बात करती रही प्रेमिका के इन्कार करने के डर से फोन पर महीनों तक हुई बातचीत मे अमित डोभाल विकलांग ने अपनी गंभीर दिव्यांगता को छुपाये रखा।
जब प्रेमी से प्रेमिका की पहली मुलाकात हुई और उसे पता चला कि जिसके साथ वह जिंदगी गुजारने के लिए अपने जन्मदाता को छोड़ कर जाने वाली है वह दोनों पेरो से 100% विकलांग है। इसके बावजूद भी दीवानगी कम न हुई।अंत में जब प्यार दोनों तरफ परवान चढ़ने लगा तो विकलांग अमित डोभाल ने अपनी दिव्यांगता के बारे में सबकुछ बता दिया। लेकिन प्रेमिका के अटूट प्यार ने विकलांग अमित का सिर्फ हौसला ही नहीं बढ़ाया। बल्कि जीवन जीने का नजरिया ही बदल दिया और अप्रेल 2013 मे भागकर शादी करने का निर्णय ले लिया।
दरअसल, यह कहानी उत्तरकाशी जिले के छमरोटा गाँव की स्नातक पढ़ी – लिखी ममता एवं देहरादून जिले के जौनसार से कुन्ना गाँव के हाई स्कूल पास अमित डोभाल विकलांग की है। प्यार में पागल इस युगल ने न सिर्फ शादी रचाई बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि प्यार न जात-पात न रंग-रूप और ना ही शारीरिक संरचना से होता है। प्यार दो दिलों का संगम है।
प्रेमिका के परिजनों ने एवं रिशतेदारों ने इसका बहुत विरोध किया और तीन वर्ष तक लड़की से बातचीत और सारे संबध तोड़ दिये लेकिन दो सच्चे प्यार करने वालों के आगे सभी रिश्ते नाते दारों की नहीं चली
दोनों पैरों से विकलांग प्रेमी अमित डोभाल अपनी प्रेमिका को लेकर अपने मामा के घर देहरादून चला गया। जहां कथित रूप से दोनों ने मंदीर में शादी रचा ली। उधर, लड़की के घर वालों ने खोजबीन की और पूरा गाँव विकलांग अमित डोभाल के घर पहुंच गया गाँव वालो ने प्रेमिका का बयान लिया और ये कहकर समझाने लगे कि दोनों पैर से 100% विकलांग के साथ कैसे पूरा जीवन गुजारेगी अभी भी कोई बात नहीं वापस घर चलो काफी समझाया बुझाया लेकिन प्रेमिका ममता ने परिजनों के साथ जाने से इन्कार कर दिया। प्रेमिका ममता का कहना था कि उसने सच्चा प्रेम किया है। अब कोई उन्हें जुदा नहीं कर सकता है। अपने विकलांग पति के साथ जीने मरने का संकल्प लेते हुए और अपने दिव्यांग पति को सशक्त बनाने के लिए पति की कपडों की दुकान में पति के साथ दुकान चलाने लगी खुशी खुशी जीवन जीने लगे और धीरे-धीरे अपने विकलांग पति के साथ विकलांग जनों के सशक्तिकरण के लिए कार्य करने का मन बनाया और इस ही उद्देश्य से वर्ष 2017 में अपने विकलांग पति से उतराखण्ड विकलांग सशक्तिकरण ऐसोसिएशन की स्थापना कराई और प्रदेश के विकलांग जनों के सशक्तिकरण के लिए प्रदेश स्तर पर कार्य शुरू किया और पर्दे के पीछे से अपने विकलांग पति अमित डोभाल का कंधे से कंधा मिलाकर साथ देकर दोनों पांव से विकलांग पति अमित डोभाल को विकलांगता के क्षेत्र में एक पहचान दिलाई उनके सहयोग और योगदान से आज उनका विकलांग पति विकलांग संगठन का प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सरकार में राज्य विकलांग सलाहकार बोर्ड का सदस्य है।सामाजिक कार्यो के साथ साथ एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं आज इनके दो बच्चे है एक बेटा है और एक बेटी है। विकलांग अमित डोभाल कहते हैं मेरी पत्नी ने मेरे अंधकार जीवन में रोशनी लायी है और अपने जीवन की परवाह न करते हुए त्याग का जो परिचय दिया है ये समाज को एक संदेश है कि विकलांग तन से हो सकते हैं मन से नहीं

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com