कविता

हौंसले की उड़ान

अंधेरे में एक चिराग जलाए रखिये

ठोकरों से खुद को बचाये रखिये

घने अंधेरों में भी रोशनी हो जाती है

बस आत्मविश्वास के चिरागों को

हर पल जलाए रखिये

बुरी है दुनिया और लोग भी बुरे

अच्छाई की तलाश में खुद को

लगाए रखिये

खुशी की खोज में ढेरों ग़म मिले

फिर भी हसरतों को बचाये रखिये

क्या पता किस मोड़ पर

टकरा जाये जिंदगी

ख़ुद को जिंदादिल बनाये रखिये

©रचना वर्मा

 

रचना वर्मा

जन्मस्थान- गोरखपुर, उत्तर-प्रदेश शिक्षा- एम.ए, अर्थशास्त्र, बी.एड कुछ वर्ष अध्यापन कार्य लेखन में रुचि के कारण कुछ समाचार पत्रिकाओं में ब्लॉग तथा लेख लिखे और फेसबुक पर अपना अंगना मैगजीन से जुड़ कर छंद, माहिया, दोहे और हाइकु जैसी विधाओं से परिचय हुआ । प्रकाशित लेख - संग्रह " कही- अनकही" वर्तमान पता- मुम्बई rachna_ varma@ hotmail.com