लेख

बढ़ती लोकप्रियता के लाभ हानि

 

लोक से जुड़ी प्रियता यानी लोकप्रियता। सामान्य सी बात है कि हर सिक्के के दो पहलू होते ही हैं। कम ज्यादा लाभ हानि हर कहीं, हर क्षेत्र में पहले से मौजूद है।

जहां तक बात लोकप्रियता की है, तो अपनी खुद के साथ परिवार की भी पहचान बढ़ती जाती है, सम्मान बढ़ता जाता है, सुविधा और सहयोग में वृद्धि होती है।लोग आपसे जुड़ना ही नहीं नजदीक भी रहना चाहते हैं।आपका कद स्वत: बढ़ने लगता है। लोकप्रियता के अनुसार ही मान सम्मान, नेह निमंत्रण भी बढ़ता जाता है। बहुत सारे काम आपकी लोकप्रियता के आकर्षण में आसानी से होने लगते हैं।आपका महत्व बढ़ने लगता है। आपकी इच्छा मात्र से बहुत से लोग बिछने, आपके आदेश, निर्देश का पालन करने को उतावले रहते हैं। सामाजिक स्तर पर आपका महत्व और भाव बढ़ जाता है। आपसे कटे रहने वाले भी आपकी कृपा पाना चाहते हैं। कुछ तो आपको भगवान भी मानने लगते हैं। निजी तौर पर आपको आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक , साहित्यिक लोगों को साहित्यिक लाभ के अवसर भी आसानी से सुलभ होने अवसर बढ़ जाते हैं। यानी लाभ ही लाभ के बहुतेरे विकल्प स्वत: सामने आ जाते हैं।

अब आइए! लोकप्रियता के हानि भी कम नहीं है। आपकी लोकप्रियता से जलने वालों की तादाद भी उसी अनुसार से बढ़ने लगती है। आपकी लोकप्रियता पर दाग लगाने वालों की भी संभावना बढ़ जाती हैं। आपके खिलाफ षड्यंत्र भी रचे जा सकते हैं। आप हर किसी को संतुष्ट नहीं कर सकते, ऐसे में असंतुष्ट आपको बदनाम करने के साथ आपसे दूर होने लगेंगे। सबसे करीबी लोग इस मामले में सबसे आगे होते हैं। कुछ ऐसे विश्वासपात्र भी होंगे जो भेड़िए की खाल ओढ़े ऊपर से प्रिय और अंदर से शातिर होंगे और समय देखकर आपकी लोकप्रियता को कालिख लगाने से भी नहीं चूकेंगे। आपकी आड़ में गलत काम करने वाले भी अपने हथकंडे अपनाएंगे। आपकी बढ़ती लोकप्रियता संग व्यस्तता परिवार और रिश्तेदारों, करीबियों में असंतोष को जन्म दे सकती है। अपनों और अपने करीबियों के साथ आपकी विवशता यह होगी कि आप यह जानते हुए भी कि अमुक आपका नुकसान ही करेगा, मगर चाहकर भी सबको तो आप दूर भी नहीं रख सकते। बढ़ती लोकप्रियता असुरक्षा का नया वातावरण भी तैयार करती है।आप खुद अपने लिए बमुश्किल से ही समय निकाल पाते हैं।

आपका निजीपन खोने लगता है। बढ़ती लोकप्रियता के साथ आप सार्वजनिक संपत्ति जैसे बन जाते हैं। जहां सब कुछ आपके ही हिसाब से नहीं होगा। न चाहते हुए भी आपको बहुत कुछ अपनी लोकप्रियता की खातिर भी करना पड़ता है।

साथ ही विश्राम का भी सूकून से अवसर नहीं मिलेगा। इसके अलावा सबसे अहम तो यह कि आपके जीवन को खतरा बढ़ने की भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

संक्षेप में यह कहना ही उचित है कि लोकप्रियता के लाभ तो हैं, मगर हानि भी कम नहीं हैं। लगभग बराबर की स्थिति में ही दोनों हैं।

एक विशेष बात यह भी है कि लोकप्रिय होना तो आसान नहीं है, मगर लोकप्रियता को बरकरार रखते हुए आगे बढ़ते जाना भी तलवार की धार पर चलने से कम नहीं है। क्योंकि लोकप्रियता की राह में शायद उतने रेड कारपेट नहीं है, जितने नुकीले कारपेट बिछते जाते हैं।

ये तो उस लोकप्रिय व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि वह लोकप्रियता के हानि लाभ के साथ सामंजस्य कैसे और बिठाकर चलने की कूबत रखता है।

जय लोकप्रियता,जय लाभ हानि, सामंजस्य बिठाओ, बनो महान।

 

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921