कविता

मन से मन की ओर

मन से मन की ओर ले जाने का
सच में यदि इरादा है,
तो विचारों की प्रखरता को
विकसित कीजिए,
न मन को भ्रमित होने दें
न खुद की लगाम छोड़िए।
मन को मन की ओर ले जाना है तो
पहले खुद को मन की ओर ले जाइए,
बिना मन के ओर जाये बिना
मन के मन की ओर जाने के
स्वप्न देखना छोड़ दीजिए।
मन मन की ओर जाये
इस पर चिंतन मनन कीजिए,
पहले खुद को मन से तो जोड़िए
फिर मन को मन की ओर
ले जाने का यत्न कीजिए।
विश्वास कीजिए मन मन की ओर
जाने को उत्सुक हो जायेगा,
आप जो सोचते हैं वो हो जायेगा
मन मन की ओर बढ़ने लग जायेगा।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921