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बांसुरी वाले कृष्ण कन्हैया का जन्मोत्सव : जन्माष्टमी

भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का जन्माष्टमी पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।भगवन कृष्ण के जन्म से जुड़ी कथाएं है उनमें से एक यह भी है जब देवकी ने श्री कृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्री कृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आए जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा। श्री कृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।पूजा हेतु सभी प्रकार के फलाहार, दूध, मक्खन, दही, पंचामृत, धनिया मेवे की पंजीरी, विभिन्न प्रकार के हलवे, अक्षत, चंदन, रोली, गंगाजल, तुलसीदल, मिश्री तथा अन्य भोग सामग्री से भगवान का भोग लगाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व पर नई  पोशाख ,मोर पंख ,पारिजात के फूलों का भी महत्व है  ऐसी मान्यता है जन्माष्टमी के व्रत का विधि पूर्वक पूजन करने से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर वैकुण्ठ धाम जाता है।प्राचीन ग्रंथों में बाँसुरी के बारे में  कहा गया है कि  बाँसुरी की तान में चुम्बकीय आकर्षण होता है । प्राचीन ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है की कृष्ण अपनी बांसुरी से ब्रजसुंदरियों के मन को हर लेते थे ।भगवान के बंशीवादन की ध्वनि सुनकर गोपियाँ अर्थ ,काम और मोक्ष सबंधी तर्कों को छोड़कर इतनी मोहित हो जाती थी कि रोकने पर भी नहीं रूकती थी ।क्योकिं बांसुरी की तान माध्यम बनकर श्रीकृष्ण के प्रति उनका अनन्य अनुराग ,परम प्रेम उनको उन तक खीच लाता था।सखा ग्वाल बाल के साथ गोवर्धन की तराई ,यमुना  तट  पर गौओ को चराते समय कृष्ण की बांसुरी की तान पर गौएँ व् अन्य पशु -पक्षी मंत्र मुग्ध हो जाते ।वही अचल वृक्षों को भी रोमांच आ जाता था । कृष्ण ने कश्यप गोत्र सांदीपनि आचार्य से अवंतीपुर (उज्जैन )में शिक्षा प्राप्त करते समय चौसठ कलाओं (संयमी शिरोमणि ) का केवल चौसठ दिन -रात में ही ज्ञान प्राप्त कर लिया था। उन्ही चौसठ कलाओं में से वाद्य कला के अन्तर्गत गुरु ज्ञान के द्धारा सही तरीके से बांसुरी वादन का ज्ञान लिया था ।
— संजय वर्मा ‘दृष्टि’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच