सामाजिक

कबीरदासजी के बोल, बन्दे आंखें खोल

सुबह-सुबह का स्वप्न है, एक बहुत बड़े परिसर में विश्व की लाखों वेश्याओं का सम्मलेन था, महात्मा कबीरदासजी मुख्य वक्ता और अतिथि के रूप में मंच पर विराजमान थे. उन्होंने एक सदस्या की जिज्ञासा का समाधान करते हुए कहा कि आपकी पीड़ा यथार्थ है कि आप विविध आयामी विवशताओं के कारण शरीर बेचती हैं और इस कृत्य के कारण उपेक्षित और कलंकित हैं, जबकि स्वेच्छाचारी और बिना किसी विवशता के, प्रसिद्धि, अकूत धन और सामाजिक प्रतिष्ठा पाने के लिए यत्र, तत्र शरीर अर्पित करने वाली कुछ महिलाएं समाज में सेलिब्रिटीज क्यों बन जाती हैं.
सुनो बेटियो ! इस विषय में इतनाभर जान लीजिए कि ईश्वर की दृष्टि में आपका स्थान सदैव ऐसी कथित सेलिब्रिटीज की तुलना में लाखों गुना ऊंचा ही रहेगा, क्योंकि तुम्हारी विवशता प्रभु के संज्ञान में है और तुम्हारे कारण उन्मुक्त कामुक लोगों से समाज की नारियों, विशेषकर छोटी बच्चियों, किशोरियों और युवतियों की परोक्ष रूप से रक्षा हो जाती है. साथ ही समाज के विद्वजन भी तुम्हारे प्रति मन ही मन आभारी रहते हैं और रहेंगे भी. इस दलदल से निकलने के विचार को बीज की तरह मन-मस्तिष्क में धारण करो और प्रभु से प्रार्थना करती रहो, एक दिन वह वटवृक्ष अवश्य बनेगा, यह मेरा कथन है. दूसरी बात तुम्हारे कान्शियस और उनके कान्शियस में ग्लानि के स्तर में करोड़ों गुना अन्तर होगा और यह ग्लानि का अदृश्य भाव उन्हें आजीवन नारकीयता की अनुभूति प्रतिदिन कराता रहेगा.
परन्तु बिना विवशता के ही शरीर का उन्मुक्तता से व्यवसाय करने वाली, किसी हिडन एजेण्डे के तहत सिलेक्टिवली सनातन संस्कृति और परोक्ष रूप से भारत के विरुद्ध टार्गेटेड योजना से कथित सेलिब्रिटीज, समाज के किशोर-किशोरियों, युवक-युवतियों और अन्यों को अपने वस्त्रों (कथित), कृत्यों, आचरण, चरित्र, कामुक हावभाव, संकेतों, द्विअर्थी संवादों, रोगी बना देने वाले उत्पादों के विज्ञापनों और नैतिकता विरोधी कथानकों-फिल्मों एवं शब्द जाल के माध्यम से पथभ्रष्ट करने का कार्य सफलतापूर्वक कर रहे हैं. जानबूझकर कर स्तन अथवा अन्य अंगों के वस्त्रों को सार्वजनिक रूप से नीचे गिराना, नग्नता की स्वीकार्यता को बाल और किशोर मनों में रोपित करने के उद्देश्य से पुरुष भी पूर्ण नग्न फोटो सेशन देने लगे हैं और सेलिब्रिटी औरतें सार्वजनिक रूप से उस नग्नता को भारतीय नारियों के लिए आँखें सेंकने का अवसर कहना, यह एक स्पष्ट षड्यंत्र की स्क्रिप्ट का अंश प्रतीत होता है. उनके इन कृत्यों के निहितार्थ ईश्वर की आयोजना से धीरे-धीरे सार्वजनिक रूप से प्रकट होंगे और इनका तिरस्कार, अपमान, प्रताड़ना के साथ पूर्ण बहिष्कार होगा, निश्चिन्त रहो, माता सरस्वती की अनुकम्पा से इसका आरम्भ हो चुका है.
इतने में अलार्म बजने लगा और स्वप्न टूट गया और मैं महात्मा कबीरदासजी के अमृत वचनों से वंचित रह गया.