कविता

नजारा

मन की ऑखों से जग को देखो
अद्भूत नजारा नजर आयेगा
सात रंगों में सज धज है धरती
इन्द्रधनुष सा दीख      जायेगा

हरितिमा की ताज ओढ़ कर
खुशियाली का घर पायेगा
जहाँ तलक नजरें जायेगी
हरी भरी पृथ्वी मुस्कुरायेगा

सुख का सागर हिलोरें मारता
दुःख का एहसास ना पायेगा
आनंद ही आनंद का गागर
जीवन में नजर ही आयेगा

रामराज्य की परिकल्पना से
मन मोहित सा हो    जायेगा
मार काट की जगह नहीं है
सत्य पथ जब अपनायेगा

ईष्या द्वेष की जहाँ है बंदिश
प्रेम नगर ले कर  जायेगा
कोई किसी का नहीं है बैरी
अपना पन ही नजर आयेगा

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088