कविता

झंडा ऊंचा रहे हमारा

बस इतना है भाव हमारा
झ॔डा ऊँचा रहे हमारा।
प्रगति पथ पर राष्ट्र बढ़ रहा
विश्व स्तर पर नाम था रहा।
खेलकूद कला साहित्य हो
शिक्षा, विज्ञान या संस्कृति हो।
झंडा हो रहा बुलंद हमारा
झंडा ऊँचा ये रहे हमारा।
तिरछी नजरें सहम रही हैं
डरी हुई सी दीख रही हैं।
अब दुनिया भारत को तकती है,
संग में आने को आतुर दिखती है।
जलवा भारत का रोज बढ़ रहा
दुश्मन देशों में शोर मच रहा।
कल का भारत बदल रहा है
आँखों में आँखें डाल रहा है।
प्यार मोहब्बत का हामी भारत
जबड़े दुश्मन के तोड़ रहा है।
चाहे जितना हो चालाक दुश्मन
घर में घुसकर मार रहा है।
राष्ट्र विरोधी तत्वों को अब
भारत सबक सिखा रहा है।
सत्ता के शीर्ष सिंहासन पर
बब्बर शेर दहाड़ रहा है।
लेकर तिरंगा हाथ में अपने
दुनिया को अब बता रहा है।
भ्रम की पट्टी बंधी जो अब तक
सिर चढ़ उनकी पट्टी खोल रहा है।
आज का भारत बदल गया है,
दुनिया को ये समझा रहा है।
दुनिया भर को आज का भारत
तिरंगे की ताकत दिखा रहा है।
भारत का है प्राण तिरंगा।
आन बान और शान तिरंगा।
युगों युगों तक फहरेगा यूँ ही
सबसे प्यारा हमारा ये तिरंगा।
हर भारतवासी का प्यारा
झंडा ऊँचा ये रहे हमारा।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921