हास्य व्यंग्य

अमृत महोत्सव हमारा:पाक को झटका क़रारा

मोबाइल के लगातार चीखने से मेरी नींद खुली। मैंने फोन रिसीव किया। ऊधर से जो परिचय दिया गया, उसे सुनकर मैं चैतन्य ही नहीं सतर्क भी हो गया, साथ ही अपने भौकाल से खुश भी। दरअसल फोन पाकिस्तान के बड़े समाचार पत्र के संपादक का था।
हां जी! मैं ही बोल रहा हूँ।
आपको डिस्टर्ब करने के लिए क्षमा चाहता हूँ।मगर मजबूरी थी इसलिए सुबह सुबह फोन किया।
चलिए कोई बात नहीं, आप सज्जन व्यक्ति लग रहे हैं। बताइए
दरअसल हमारे प्रधानमंत्री बड़ी उलझन में हैं।
तो मैं इसमें क्या कर सकता हूँ?
आप ही कुछ कर सकते हैं।
चलिए अगर आप ऐसा मानते हैं ,तो पूरी बात बताइये।
आपका देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। पहले तो बधाइयाँ स्वीकार कीजिए।
जी आपका बहुत धन्यवाद। मगर धन्यवाद अभी ग्रहण मत कीजिएगा।पहले हमारे अमृत महोत्सव का शानदार कवरेज़ करवाकर अपने अखबार के पहले पेज पर लगाइए, तब तक धन्यवाद ग्रहण स्थगित रखिए।
धन्यवाद न भी दें तो चलेगा, मगर मेरे पेट पर लाट मत मारिए। आपको तो पता ही है, हमारे देश में हमारी क्या क्या मजबूरियां हैं।
चल भाई, मैं अपना लात खींच लेता हूँ।अब मुद्दे पर आइए
बात इतनी भर है कि हमारे प्रधानमंत्री महोदय आपके देश भारत में आजादी के अमृत महोत्सव की धमक से बेचैन हैं।
तो उन्हें बी. पी. की दवा दिलवाइये या वो भी मोदी जी ही भिजवायें।
अरे नहीं।दवा खा खाकर तो बेचारे और परेशान हैं, उनकी चिंता कुछ और ही है।
चलिए! उसका भी वृत्तांत सुना दीजिए।
दर असल वे इसलिये परेशान हैं कि अगले साल पाकिस्तान भी अमृत महोत्सव मनाएगा।
अच्छी बात है, लेकिन जनाब इसमें हम भारत वाले क्या कर सकते हैं? सलाहकार की जरूरत हो तो हम अभी चलने को तैयार हैं। मोदी जी हमें मना भी नहीं करेंगे। वैसे भी हमें मुफ्त की सलाह देने के विशेषज्ञ है।
अरे नहीं भाई! बात ये नहीं है। बात ये है कि आपके अमृत महोत्सव का जलवा देख हमारे प्रधानमंत्री जी पागल से हो गए हैं।
कोई बात नहीं, आप उनसे बोलिए वो यहाँ आ जायें। हमारा झोलाछाप डाक्टर भी उन्हें पूरा पागल बना  ससम्मान भिजवाने का प्रबंध करने में महारत रखता है।
आप हमारे बड़े हैं, क्या छोटे का मजाक उड़ाकर मेरा दिल नहीं तोड़ रहे हैं?
फिर बताइए, हम क्या मदद कर सकते हैं?
मुख्य समस्या तक तो आप आने ही नहीं दे रहे हैं।
ये भी आप ठीक ही कह रहे हैं। हमारे मोदी जी भी दिन में तीन चार बार मुझसे यही शिकायत करते हैं। वैसे वे हमारे प्रधानमंत्री हैं। उनकी बात का क्या बुरा मानना। चलिए!आप ही बोलिए।
देखिए ये बात थोड़ी संवेदनशील है, बस मेरी बात सुन लीजिए, समाधान चुपके से दीजिए।
…..ओह तो मामला गंभीर है।
बेहद गंभीर है, वो तो उन्होंने चाय पर मुझे बुलाया था, जाने किस रौ में थे कि सब कह गये। उनकी चिंता बस छोटी सी है।मगर हमारे लिए राष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है।
ऐसा क्या है?
सिर्फ ये कि क्या वे तब तक देश के प्रधानमंत्री रहेंगे?
बस!इतनी छोटी सी बात। चुटकियों में इसका समाधान हो जाएगा। आप हमारी बात अपने प्रधानमंत्री महोदय से करा दीजिए।सब ठीक हो जायेगा।
मगर कैसे?
वो ऐसे कि हम आपका प्रस्ताव मोदी जी तक समाधान के सुझावों के साथ पहुंचा देंगे, मोदी मेरी बात नहीं टालेंगे, आपकी अर्थ व्यवस्था को भी खतरे में नहीं डालेंगे। हमारे प्रस्ताव को मंजूरी दे देंगे। आपका काम हो जायेगा।हमारा भी नाम हो जायेगा।
मगर वो प्रस्ताव क्या होगा?
कुछ खास नहीं।बस पाकिस्तान के अमृत महोत्सव में भारत के साथ साथ पाकिस्तान के भी प्रधानमंत्री का पद संभालकर बागडोर अपने हाथ में ले लेंगे। पाकिस्तान के हर कोने ,गली, मोहल्ले, घर, दफ्तर,चौक चौराहे पर अपना तिंरगा लगवा देंगे, भारत से भी भव्य पाक का अमृत महोत्सव करा देंगे। सरकार का एक रुपया भी खर्च नहीं होने देंगे। सारा खर्च चंदा लगाकर पाकिस्तानी नागरिकों से सिर्फ अपील भर करके जुटा लेंगे। फिर भी आपके प्रधानमंत्री को डर लगता है तो पूरा पाकिस्तान भारत म़े मिला लेंगे। हर समस्या का समाधान यूँ चुटकियों में दे देंगे।आपके प्रधानमंत्री का भाव बढ़ जायेगा। जब आपके देश का अमृत महोत्सव मनाने का जब जिम्मा
अपने कंधों पर उठाएंगे।
अरे वाह! आप तो बड़े बुद्धिमान हैं, इतनी बड़ी समस्या का समाधान चुटकियों में कर दिया।हम ये एहसान जिंदगी भर नहीं भूल पायेंगे, इसका कर्ज पाकिस्तान के सबसे बड़े नागरिक सम्मान के रुप में आपको देकर चुकाएंगे। ऊधर से बिना किसी दुआ सलाम के फोन कट गया।
अगले दिन उनके समाचार पत्र के पहले पेज पर  समाचार छपा “पाकिस्तान का भाग्योदय, अमृत महोत्सव का जिम्मा भारत ने लिया”।
विस्तृत खबर में सूत्रों का हवाला दिया गया था।
तब से भारतीय एजेंसियां उस सूत्र की तलाश में खानापूर्ति कर रहीहैं। मगर राज की बात तो यह है कि मोदी जी बहुत खुश हैं, फोन कर बधाई दी और पाकिस्तानी मामलों का सलाहकार बनाने की पेशकश भी। मेरे तो भाग्य खुल गए। मगर पाकिस्तान में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विरोधी स्वर गूँजने लगे, क्योंकि भारत के अमृत महोत्सव के तराने पाकिस्तान के कोने कोने में छाने लगे, उन्हें भी अब हमारे भारत की तरह भव्य अमृत महोत्सव के सपने आने लगे।
ये है भारत का दम, जय हिंद, जय भारत, वंदेमातरम।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921