राजनीति

भारत धर्मशाला नहीं

विश्व में जब भी कोई त्रासदी हुई, वहां के जन समुदाय ने भारत की दिशा में कदम बढ़ाए। क्योंकि भारत की सनातन संस्कृति और व्यापक दृष्टिकोण ने कभी भी आगन्तुकों का तिरस्कार नही किया। उनमे से कई यहां की संस्कृति में रच गए आज वे कहां है यह भी ज्ञात नही होता, केवल उनके सरनेम से ज्ञात होता है कि ये दूसरे देश से पलायन करके आये लोग है। जैसे पारसी, ईरानी, अफगानी, शक, हूण, आदि ऐसे कई वंश आज भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन गए। परंतु इसके विपरीत कुछ शरणार्थी ऐसे भी हुए जो भारत को केवल धर्मशाला मानकर यहां निवास करते है, उनमें भारत के प्रति कोई सम्मान, आदर या अपनत्व का भाव नही होता। वे ऐसे ही रहते है जैसे हम कभी किसी दूसरे स्थान पर जाने पर होटल किराए से लेते है, परंतु ये बिना किराया दिए भारत के संसाधन का लाभ उठाने, भारत की भूमि पर कब्जा करने, अपनी जनसंख्या बढ़ाकर अपना वर्चस्व बढाने, नोकरियों व व्यापार पर नियंत्रण करने की मंशा रखते है। ऐसे ही म्यांमार से भागकर आये लाखों रोहिंग्या मुसलमान जो आज भारत में अनाधिकृत रूप से रह रहे है, उनके प्रति किसी भी तरह का नरम व्यवहार देश की अखंडता व शांति को नुकसान पहुचाने वाला सिद्ध होगा। वर्तमान में दिल्ली के मदननगर में हजारों की संख्या में रोहिंग्या निवास करते है, यहां की स्कूलों में इनके बच्चे मुफ्त में पढ़ते है, कॉलेज आदि में भी अनेक रोहिंग्या युवा आज अध्ययन कर रहे है। यह विषय तब चर्चा में आया जब इनकी बस्तियों की दशा देखकर दिल्ली के एक नेता ने ट्विटर पर एक टिप्पणी की जिसके विरोध में हिन्दू संगठनों की आपत्ति के बाद सरकार को स्पष्टीकरण देना पड़ा। वास्तव में शरणार्थियों के संबन्ध में हमारी नीतियां अनाधिकृत रूप से रहने वाले असमाजिक तत्वों के लिए नही होना चाहिए। शरणार्थी और अवैध कब्जा करके रहने वालों में उतना ही अंतर है जितना किराया देकर रहने और कब्जा करके जबरन रहने वाले में। आज बात संसाधन देने की है, कल यही रोहिंग्या वोट देने का अधिकार मांगने लगेंगे, बंगाल सरकार ने तो कई रोहिंज्ञाओं के राशन कार्ड, वोटर कार्ड तक बना दिए, चुनाव के समय यह मुद्दा बंगाल के लिए प्रभावकारी बना था। बंगाल के स्थानीय लोग अवैध रूप से रहने वाले रोहिंगयाओं से परेशान है। इसी प्रकार अन्य स्थानों पर भी ये समस्या का कारण बन रहे हैं। पिछले वर्ष भारतीय सेना ने अवैध रूप से बस्ती बनाकर रहने वाले रोहिंगयाओ से खतरे के संकेत दिए थे जो हजारों की संख्या मे कश्मीर की सीमा पर अवैध रूप से रह रहे है। सरकार को चाहिए कि स्पष्ट रूप से रोहिंगयाओ को म्यांमार भेजने की दिशा में कार्य करे, साथ ही इस विषय को लेकर पक्ष विपक्ष सबकी मंशा व विचार में भेद नही होना चाहिए। राष्ट्रीय विषयों पर राजनीति करना सभी दलों को बंद करना चाहिए। इसी प्रकार भारत में रह रहे अवैध रोहिंगयाओं को म्यांमार भेजने के विषय पर भी बिना राजनीति किए सबको एकमत होना चाहिए। क्योंकि देश की जनता आपकप देखती है यदि आप राष्ट्रीय विषयों पर भी सरकार व सेना का साथ नहीं देते तो आपकी राजनीति समाप्त करना जनता की जिम्मेदारी बनती है।

— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश