कविता

आजादी का अमृत महोत्सव

आजादी की पचहत्तरहवीं
वर्षगांठ मना रहे हैं,
हम भारत वासी खूब
जस्न मना रहे हैं,
घर घर तिरंगा फहरा रहे हैं।
वर्षो तलक हमने अंग्रेजों का
खूब,अत्याचार सहा,
हमने आजादी के लिए
खूब संघर्ष किया।
हमने त्याग किया
तन–मन बलिदान किया,
हमने अपने देश पर
मान,अभिमान किया।

घर–घर झंडा फहराया,
हमने अपने सपने को
साकार किया,
यह तिरंगा हमारी पहचान है
यह त्याग,बलिदान,शांति
का प्रतीक और शान है।
जिसका हमने सम्मान किया,
यह तिरंगा कभी पर्वों पर
सरकारी भवनों पर
फहराता था,आज
हमने घरों में फहराया
हमे यह सौभाग्य मिला।
स्वतंत्र भारत की मिट्टी
का हमने एकाकार किया।
हम आजादी का अमृत
महोत्सव मना रहे है,
यह कर्तव्य निभा रहे हैं।
पर हमे यह नहीं भूलना चाहिए
आज भी हमारे देश में गांव है
गरीबी है,खेतिहर मजदूर हैं।
देश के असल रखवाले
हमारे जवान और किसान हैं,
हमे इनका भी सम्मान करना है।
अपने देश से भय,भूख,भ्रष्टाचार
को समूल नष्ट करना है।
अमीरी–गरीबी,ऊंच–नीच के
भेदभाव को नष्ट करना है,
सबको सबका उचित
अधिकार दिलाना होगा।
यह विश्वास अपनी भारत
माता को दिलाना होगा।
और तभी इस आजादी के
अमृत महोत्सव को सार्थक
करना और समझना होगा।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578