कविता

गणपति बप्पा

 

हे बप्पा! कुछ हमें बताओ

थोड़ा अक्षर ज्ञान कराओ,

हे प्रथम पूज्य, हे सिद्धविनायक

सूँड उठा मेरे सिर रख

थोड़ी सी कृपा भी बरसाओ।

बैठे सिंहासन पर तुम

मंद मंद मुस्काय रहे हो,

कब से खड़ा हूँ शीष झुकाए

नजरें क्यों फिराय रहे हो?

कृपा दृष्टि मुझ पर भी डालो

आखिर क्यों हमें रुलाय रहे हो?

भूल हुई हो जो मुझसे

हे बप्पा तुम माफ करो,

शरण तुम्हारे आया हूँ मैं

थोड़ा इसका भी ध्यान करो।

रिद्धि सिद्धि के दाता तुम

मेरा भी कल्याण करो,

संकटमोचन कहलाते हो

मेरे भी संकट दूर करो,

बल, बुद्धि, विद्या देकर

मेरा भी उद्धार करो।

इतना ही नहीं बस और थोड़ा

विनय मेरा स्वीकार करो,

सबकी भर दो झोली खुशियों से

जन जन के सारे कष्ट हरो,

विघ्न विनाशक गणपति बप्पा

बस इतनी सी कृपा करो,

हे लंबोदर, हे एकदंत

फरियाद मेरी फलीभूत करो,

हे गजानन ये भी सुन लो

कुछ भी न अस्वीकार करो,

शीश झुकाकर नमन कर रहा

हे गजबदन ये भी ध्यान करो,

नमन, वंदन कर रहा कब से

अब तो तुम स्वीकार करो।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921