कविता

गणेशोत्सव

बहुत धन्यवाद, बप्पा जी आपका
प्रति वर्ष घर- घर, पधारने के लिए
श्रृद्धा से भक्त,जो भी अर्पण करते
सहर्ष सब कुछ, स्वीकारने के लिए

ढोल, नगाड़ों, से करते हैं स्वागत
झूमते नाचते, होता है आगमन
रात भर होता है,भक्तों का जमघट
मेवा-मोदक-फल, करते हैं अर्पण

रंगारंग कार्यक्रम, देखते ही बनते
उत्साह बच्चों के, साफ झलकते
महिनों से करते हैं, सब तैयारियां
सबके चेहरों से, झलकती खुशियां

भूलते जा रहे हम, संस्कार अपने
धूमिल हो रहे, सब सुनहरे सपने
जब जब आपका, आगमन होता
कुछ हमारा भी, परिमार्जन होता।

लाखों,करोड़ों को रोजगार मिलता
इतने दिन भूखों, का‌ पेट भरता
बड़े बड़े पंडाल, सबको लुभाते
आपके सब रुप, मोहित कर जाते

सेवक भी आपके, अजब-गजब हैं
एक-दो दिन में ही, तृप्त हो जाते
लेकिन श्रृद्धा और विश्वास अटूट है
अगले बरस आने की गुहार लगाते

आपकी कृपा का, वर्णन करुं क्या
हर हाल में आप, प्रसन्न हो जाते
सबकी पुकार आप, सहर्ष सुनते
एकता अखंडता का,पर्व बन जाते

अपना वरदहस्त, रखना सभी पर
हरना सभी विघ्न,हो सबका मंगल
मुंहमांगा वरदान, देते तुम पल में
गणपति बप्पा, सदा देते शुभ फल
गणपति बप्पा, सदा देते शुभ फल

गणपति बप्पा मोरया
मंगल मूर्ति मोरया

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई