कविता

तुम्हारे साथ….

सुनो !
उस एक मुलाकात को जी रही हूं
और शायद
उम्र के हर दहलीज पर जीती रहूंगी

मन पर जो निशान पड़े थे
मुहब्बत के पहले अहसास का
वो मिटता ही नहीं
वक्त के साथ और भी गहराता जा रहा

सुनो !
बहुत दर्द सहता है ये दिल
तुम्हारे साथ बिताए लम्हों को
आज भी याद कर रोता है

कुछ खामोश वजहें थीं
कि तुम्हारे साथ न हो सकी
दूर होकर तुमसे
रेत सी बिखर गई हूं

पर मेरे हर टूटे अरमान, ख्वाब और चाहतों में बस
एक तुम्हारा ही नाम है

सुनो !
मेरे दिल ने कहा मुझे तुमसे प्यार है।

*बबली सिन्हा

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