कविता

सपनों का शहर

जहाँ सुख ,शांति,सकूँन हो
सबके जीवन में खुशियां अपार हो
आपस में सब मिलजुलकर रहें
 न किसी में कोई भेदभाव रहें
न किसी के साथ कोई बैर रखें
नारी का आदर और सम्मान हों
उसका जीवन  घर,समाज में सुरक्षित हों
कोई धन के अभाव में शिक्षा से वंचित न रहें
किसी के मन में कोई छल कपट न हों
धरा पर बिखरी हरियाली हों
उपवन में फूलों की खुशबू बिखरी हों
जहाँ सुरक्षा महसूस जीव ,जंतु करें
सब और खुशहाली और शांति हों
जहां आपस में भाई चारा और एकता हों
मेरे ख्वाबों का शहर ऐसा हो.
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश