भाषा-साहित्य

सम्बोधन का सही रूप

कई धुरन्धर लेखक और वक्ता भी सम्बोधन शब्दों में अनुस्वार का अनावश्यक और गलत उपयोग कर जाते हैं, जैसे- प्यारे मित्रों, प्रिय विद्यार्थियों, माताओं आदि। ये सभी प्रयोग गलत हैं। हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी प्रायः गलत सम्बोधन करते हैं और लोग उसको सही मान लेते हैं। मोदी जी को हिन्दी व्याकरण का पर्याप्त ज्ञान नहीं है और वे अहिन्दीभाषी भी हैं, इसलिए उनसे ऐसी गलती होना स्वाभाविक है, लेकिन आश्चर्य तो तब होता है जब जन्मजात हिन्दी भाषी और हिन्दी माध्यम से पढ़े हुए व्यक्ति भी यह गलती करते हैं।

व्याकरण की दृष्टि से, हिन्दी में एक वचन के सम्बोधन इस प्रकार होते हैं- हे राम!, हे माता!, हे मित्र! आदि। अब ‘हे’ शब्द का प्रयोग तो प्रायः बन्द ही हो गया है और सम्बोधन चिह्न (!) का प्रयोग भी लोग बहुत कम करते हैं, उसकी जगह प्रायः अल्पविराम लगा दिया जाता है। इस तरह कोई वाक्य इस प्रकार हो सकता है- ‘मित्र, मैं बहुत प्रसन्न हूँ।’ यहाँ ‘मित्र’ को सम्बोधित किया गया है, जो एकवचन है।

अब यदि हम एक के बजाय अनेक मित्रों को एक साथ सम्बोधित करेंगे, तो यह वाक्य इस प्रकार बनेगा- ‘मित्रो, मैं बहुत प्रसन्न हूँ।’ ध्यान दीजिए कि सामान्य वाक्यों में ‘मित्र’ का बहुवचन ‘मित्रों’ होता है, जैसे- ‘मैं अपने मित्रों के साथ घूमने गया था।’ लेकिन सम्बोधन में इस शब्द का अनुस्वार हट जाता है अर्थात् केवल ‘मित्रो’ रह जाता है। अन्य सम्बोधनों में भी ऐसा ही समझा जा सकता है।

इसलिए, भविष्य में जब भी आप सम्बोधन लिखें, तो याद रखें कि उनमें अनुस्वार नहीं लगेगा।

— डॉ. विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com