भाषा-साहित्य

हिंदी वर्ण माला के अक्षर ‘र’ की अनोखी अदा- जादुई गिरगिट

‘ढाई आखर प्रेम के’ में आधा अक्षर कौन सा है?
वैसे तो सबको ऊपरी तौर पर देखने से लगता है कि र आधा है और प पूरा किन्तु गौर करने पर पता चलता है कि प आधा है और र पूरा। यानी व्यंजन प् में स्वर अ नहीं जुड़ा है।
हिंदी अक्षरों में र संभवतः सबसे ज़्यादा रूप बदलता है।
जब र में छोटे उ की मात्रा जुड़ती है तो रु बन जाता है बड़ा ऊ (ू) जुड़ने पर रू बन जाता है (जैसे शुरू, रूप)।
शब्द के बीच में पड़ने पर जब र आधा यानी स्वर रहित होता है तो इसे बाद वाले व्यंजन के ऊपर लगाया जाता है। इसे रेफ कहते हैं। जैसे – ध + र् + म = धर्म।
र से पहले स्वर रहित व्यंजन हो, तो यह उसके पैर में दो प्रकार से जुड़ता है।
१. पाई वाले व्यंजन में आड़ी रेखा के रूप में।
जैसे – क् + र + म = क्रम।
२. जब व्यंजन में पाई नीचे तक नहीं होती है
तब – ट् + र + क = ट्रक।
आधे द (द्) के साथ र तिरछी रेखा के रूप में जुड़ता है
द् + र = द्र।
आधे त (त्) के साथ जुड़कर यह संयुक्ताक्षर त्र बनाते हैं।
इसी तरह आधे श के साथ जुड़कर यह श्र में बदल जाता है। जैसे कि श्र का प्रयोग श्रद्धा, श्रम, श्री, श्रद्धांजलि में होता है।

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244