कविता

हिंदी रही सदा प्यार की परिभाषा

हिंदी रस की खान है।
हिंदी भारत की शान है

हिंदी हमको नव ज्ञान दे।
हिंदी सब को वरदान दे।
हिंदी झरने सी मीठी।
हिंदी सबको देती रोटी।
हिंदी भाषा में है ममता।
हिंदी भाषा में है समता।
हिंदी हमारी हे पहचान।
हिंदी भारत की हे जान।
हिंदी भाषा है गुणों की खान।
हिंदी भाषा है प्यार की जुबान।
हिंदी को मिलकर करो गुणगान
हिंदी को मिलकर करो सम्मान।
हिंदी का परचम, जग में गान।
हिंदी की हरदम रहे मुस्कान।
हिंदी की मिलकर करो साधना।
 हिंदी की मिलकर करो आराधना।
 हिंदी के प्रति हो हमारी संवेदना।
 हिंदी की हो तन-मन से उपासना।
हिंदी का हो राज, हमारा यही अरमान।
हिंदी का जग में बड़े खूब मान सम्मान।
हिंदी आज ज्ञान का सागर है।
हिंदी अमृत की भरी गागर है।
हिंदी मय हो पुरा राष्ट्र, करें ऐसी भक्ति।
हिंदी भाषा में हो राष्ट्र की शुभ शक्ति।
हिंदी भाषा है संस्कृति और संस्कार।
हिंदी भाषा है शब्दों का अपूर्वभंडार।
हिंदी रही सदा प्यार की परिभाषा।
हिंदी दुनिया पर राज करें,
यह हम सबकी अभिलाषा।
— डॉ.कान्ति लाल यादव

डॉ. कांति लाल यादव

सहायक प्रोफेसर (हिन्दी) माधव विश्वविद्यालय आबू रोड पता : मकान नंबर 12 , गली नंबर 2, माली कॉलोनी ,उदयपुर (राज.)313001 मोबाइल नंबर 8955560773