कविता

हिंदी दिवस है आया

वाह-वाह हिंदी दिवस है आया,
हम सबको है जगाने आया,
हिंदी का उत्थान है करना,
प्रेम-पंथ दिखलाने आया.

हिंदी है अपना अभिमान,
हिंदी बढ़े, है यह अरमान,
हिंदी का उपयोग करेंगे,
हिंदी अपना मान-सम्मान.

एकता का अलख जगाए हिंदी,
हमको सजग बनाए हिंदी,
‘ह’ से हिमालय शीश देश का,
‘ह’ से हिंदी देश की बिंदी.

‘ह’ से हिंदुस्तान की धरती,
प्रेम और बलिदान की धरती,
सूर-कबीरा-रहीम की धरती,
संतों और महंतों की धरती.

अंग्रेजी ने दास बनाया,
हिंदी ने आजाद कराया,
अब बनता कर्तव्य हमारा,
हिंदी हो हम सबका साया.

बातें नहीं हम काम करेंगे,
हिंदी से जीवन-घट को भरेंगे,
कामकाज की हो यह भाषा,
इसकी सब बाधाएं हरेंगे.

हिंदी हमारी चाहत है,
हिंदी-उत्थान से राहत है,
हिंदी की उन्नति देख कहेंगे,
वाह वाह क्या बात है!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244