कविता

हौसलों की उडान

जीवन में आने वाली असफलता ने
दस्तक देकर पुकारा मुझे
भटकते हुए  लम्हे  ने हँसकर
हौले से अहसास दिलाया ।
तू  परिश्रम की नौका में आगे बढकर तो देख
कोशिश करके, देख
हौसलों  की उड़ान  भरकर तो देख
उम्मीद  की किरणें तेरे लक्ष्य को,
रोशनी से भर देंगी, तेरे रास्तों  को हिम्मत
रूपी पुष्पों से भर देंगी।
कठिनाई  से घबराकर
कभी हताशा   मन  लिए, मंजिल तक ना पहुँचा  कोई
जिनके हौसले बुलंद  हों उनके कदमों में ही एक दिन
सारे  संसार  का सुख होता है।
सफलता की उडान भर कर देख
परिश्रम  की मेहनत में सफलता का सुख निहित  होता है।

— डॉ. आकांक्षा रूपा चचरा

डॉ. आकांक्षा रूपा चचरा

शिक्षिका एवम् कवयित्री हिंदी विभाग मुख्याध्यक्ष, कवयित्री,समाज सेविका,लेखिका संस्थान- गुरू नानक पब्लिक स्कूल कटक ओडिशा राजेन्द्र नगर, मधुपटना कटक ओडिशा, भारत, पिन -753010