कविता

दीपावली पर्व!

अमावस के गहन अंधियारे को,
दीपमालाएं जगमग रोशन करे,
अंतर्मन के द्वेष, विद्वेष को,
सदाचार, सत्धर्म से हम मिटाये।।
ह्रदय निर्मल, पावन, पुनीत हो,
जीव-दया, करुणा-भाव संजोये,
अनाथ, दीन-दुखियारे को,
सौहार्द, साहस संबल दे पाये।।
गरीबी, लाचारी अभिशाप नहीं,
धूप-छाँव किस्मत का खेला,
तेजस उजियार, कभी तम गहरा,
जीवन हो खुशियों का मेला।।
साथ-साथ साथी, हम मनाये,
दीपावली प्रिय पर्वोत्सव न्यारा,
घर-आँगन उमंग, उल्लास,
मौसम मनभावन, सबका प्यारा।।
प्रेमदीप प्रभास हो हर घर-आँगन,
खिला खिला हो सृष्टि का कण-कण,
ख़ुशी, आनंद धन से आह्लादित मन,
सार्थक होगा दीपावली पर्व पूजन।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८