मुक्तक/दोहा

महफिल

मयखाने में महफ़िल सजा रहे हो
जवानी की ताकत क्यों घटा रहे हो
जाम पर जाम पीये जा रहे हो तुम
भीड़ में भी तन्हा क्यों रह रहे हो
दुनिया का ख़ौफ़ तो कोसों दूर है
बस दिल मे  दीवानगी का शोर है
महफ़िल लूट लेते हो जहाँ जाते हो
रात तो पीने में बीत गई अब भोर है
बीत गई पुरानी यादें जब दोस्त मिलते
केवल हाथ नहीं  दिल से  दिल मिलते
अब घर वालों के लिए बचा न वक़्त है
जो सभी एक दूजे से गले लग मिलते
आओ फिर दोस्ती के मायने सीखें
फिर एक दूसरे का गम बांटना सीखें
इंसानियत का सूरज डूब न जाए कहीं
आओ मन से आज सबसे जुड़ना सीखें
— डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित

राजेश पुरोहित

पिता का नाम - शिवनारायण शर्मा माता का नाम - चंद्रकला शर्मा जीवन संगिनी - अनिता शर्मा जन्म तिथि - 5 सितम्बर 1970 शिक्षा - एम ए हिंदी सम्प्रति अध्यापक रा उ मा वि सुलिया प्रकाशित कृतियां 1. आशीर्वाद 2. अभिलाषा 3. काव्यधारा सम्पादित काव्य संकलन राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में सतत लेखन प्रकाशन सम्मान - 4 दर्ज़न से अधिक साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित अन्य रुचि - शाकाहार जीवदया नशामुक्ति हेतु प्रचार प्रसार पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य किया संपर्क:- 98 पुरोहित कुटी श्रीराम कॉलोनी भवानीमंडी जिला झालावाड़ राजस्थान पिन 326502 मोबाइल 7073318074 Email 123rkpurohit@gmail.com