कविता

मैं हूँ गरम गरम चाय

मैं हूँ एक कप गरम गरम चाय
मुझे जो पीये थकान दूर हो जाय
पहाड़ी की हूँ अल्हड़ एक रानी
आसाम दार्जलिंग से जुड़ी कहानी

मजदूरों के हाथों से तोड़ी हुई लाचार
टी बोर्ड कलकता ने दी हमें बाजार
मशीनों ने बेरहमी से हमें है कूटा
मेरी रग रग् दर्द से है टूटा

कंपनी वाले ने दी कई एक नाम
पाकेट में भर कर बेचे लेकर दाम
गृहणी ने घर लाकर हमें   खौलाया
केटली में रख चुल्हे पे गरमाया

स्वाद पाने को दूध चीनी मिलाया
मेहमानों के बीच कप में  सजाया
कुछ तो पाया हम से   रोजगार
देश विदेशों में किया मेरी व्यापार

हल्का फुल्का खर्च में है संभलता
मेहमान बाजी में मैं सबसे सस्ता
नहीं मुझमें है कोई भी ताम झाम
सबकी चाहत मैं सुबह और शाम

अंग अंग मानव ने मेरी तोड़ा
फ़िर भी मैं ना बनी कभी भगोड़ा
गरम पानी में खुद को   जलाया
मानव से रिश्ता मैंने है  निभाया

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088