कविता

माँ

माँ,,,एक शब्द बुलंद

हर जीव की पसंद
माँ तुम सृष्टि हो
माँ तुम हो प्रकृति।
तुम ही दे सकती
किसी भी जीव को आकृति।
तुम से ही है जीव जगत की पहचान
इसलिए तो माँ होती है महान
माँ के हृदय में सदैव
भरी रहती ममता।
जो उमड़कर आँखों में
उतर आती है,शीतल बादल की तरह।
माँ अपनी,भूख प्यास,नींद, सुख
सब कुछ संतान पर वारती
माँ वो होती है,जो
किसी भी परिस्थिति से कभी नही हारती।
— अमृता राजेन्द्र प्रसाद

अमृता जोशी

जगदलपुर. छत्तीसगढ़