कविता

नवयुग की आहट

 

वर्तमान समय में हो रहे

संसार भर के घटनाक्रम

बदलाव का स्पष्ट संकेत दे रहे हैं

नवयुग की आहट का साफ संदेश दे रहे हैं।

कहीं धरती में दरारें पड़ रही हैं

कहीं नये जलस्रोत फटकर डरा रहे हैं

कहीं भूकंप तबाही फैला रहे हैं,

कहीं अग्नि का तांडव नृत्य हो रहा है

जलवायु परिवर्तन का तो कहना ही क्या

मौसम का असंतुलन सीधी चेतावनी दे रहा

सेमौसम बरसात भी रिकार्ड तोड़ रही है

अप्रत्याशित भीषण ठंड, झुलसाती गर्मी

अभी हमें सचेत कर रही है

नवयुग के आने का संकेत कर रही है।

राजनैतिक अस्थिरता, सत्ता संघर्ष

राजनैतिक हिंसा, स्वार्थी हो रही मनोवृत्तियां

आतंकवाद, अलगाववाद,

खूनी हिंसात्मक सोच

दूसरों को गिराने मिटाने

उसकी जमीन/देश कब्जाने के कुत्सित प्रयास

तख्ता पलट की सफल असफल कोशिशें

रोज रोज बढ़ रही धर्मांधता, धर्मांतरण

दूसरे धर्मों, धर्म ग्रंथों, लोगों पर प्रश्न चिन्ह लगाना

जानमाल को नुक़सान पहुंचाना

खुद और खुद को

श्रेष्ठ दिखाने का बेमुरव्वत जुनून

सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने की

सोची समझी मजहबी चालें

ठहरे समुद्र में हलचल पैदा कर

अशांत करने की हो रही सफल, असफल कोशिशें

बहुत कुछ कह रही है

बदलाव के आहट का साफ संकेत कर रही है

पुष्ट अपुष्ट भविष्यवाणियां

अनगढ़ ज्वलनशील नारे

धार्मिक स्थलों पर हमले

धर्मांधता की आड़ ले बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति

आज के संसार की दैनिक दिनचर्या

खुलकर नवयुगागमन की आहट ही तो है।

ये और बात है कि हम बहरे हो गये हैं

इतनी सारी आहटों से मुँह मोड़ रहे हैं

अपने आंख,कान बंद किए मुस्कराकर टाल रहे हैं

या स्वीकार करने में सचमुच बेपरवाह हो रहे हैं।

पर इससे कुछ नहीं होगा

नवयुग की आहट आज जब आ रही है

तो निश्चित मानिए नवयुग आयेगा ही

अच्छा है नवयुग के आहट को गंभीरता से लीजिए ।

साथ साथ नवयुग के स्वागत का इंतजाम भी

आज से नहीं अभी से शुरू कर दीजिए।

सच की चीख से मुंह मोड़कर

न खुद को गुमराह कीजिए,

नवयुग आयेगा स्वीकार कीजिए।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921