लघुकथा

आत्म-निर्भर

शहर मे अपने रिश्तेदार के यहां से कार्यक्रम की समाप्ति पर आने मे रात हो गयी। जाड़े की रात मे वैसे भी दिन जल्दी ढल जाते है, इसलिए जल्दी जल्दी कदम बढाकर घर लौट रही थी कि अचानक मेरी नजर सडक किनारे एक पेड के नीचे बैठी अधेड़ उम्र की एक युवती पर पडी, जो अपने बच्चे को गोद में लिए वही जमीन पर बैठी दिखी।
यह देख मैं खुद को रोक ना सकी। मैं पल भर उसे निहारती रही,और मेरी उपस्थिति देख युवती सिर झुकाकर अपने बच्चे को सहलाने लगी।
ठंडक मे बच्चे को कांपते देख, अपनी कोट खोलकर बच्चे के ऊपर रखते हुए कहा- इसे बच्चे को पहना दो, बच्चे को कोट पहना दिया तो मैने उससे पूछ – तुम्हारे घर पर कौन-कौन हैं?
…पति है,सास- ससुर है।
….. तो तुम वहा से यहा क्यो आयी
–पति ने ही हम लोगो को घर से निकाल दिया,
–क्यो निकाल दिया,
… शादी के कुछ दिन बाद से ही पति हमसे मेरे माइके से पैसे मांगते हैं। उन्होंने दो बार कर्ज लेकर दिया भी लेकिन इस बार उन्होंने देने से इंकार कर दिया। उनका कहना है कि तुम पैसे नहीं ला सकती तो तुम भी यहां रहकर क्या करोगी निकल जाओ मेरे घर से। मैं बहुत रोई ,कहा भी कि मैं बच्चे को लेकर कहां जाऊंगी। पर वह एक भी बात नही सुना और निकाल दिया, अब मै कहा जाऊ कोई शरण भी नही,
   उसकी बातो को सुनकर मानो मेरा खून खोल रहा था । पल भर तो कुछ नहीं कहा…. मौन हो अपने गुस्से को थमाया.. फिर कहां -तुम चाहो तो मेरे साथ बच्चे को को लेकर मेरे घर चलो, वहा हमारी मदद करना, हम तुम्हारे रहने खाने के साथ और जो हो सकेगा तुम्हारे लिए कोई काम तलाश करूगा, बैसवारा को सहारा मिला वह मेरे हमारे घर आ गयी, तो हमने उसे सलाह दिया- मेरे घर का काम करके बचे हुए समय में पड़ोस के घर पर कपड़ा सिलने सीखने के लिए तीन- चार लड़कियां आती है । कल से तुम भी वहां चली जाना, सीखने के बाद धीरे-धीरे लोगों के कपड़े सिलने लगोगी। फिर तुम खुद आत्मनिर्भर बन जाओगे और अपने बच्चे के भविष्य को उज्जवल कर पाओगी।
    — मेरा प्रयास सफल रहा कुछ ही दिनों में वह लोगों के कपड़े सिलकर अपना हाथ खर्चा भी निकाल लेने लगी ।
एक दिन मैने उससे पूछा- यहा आकर तूमको कैसा लगता है, अफसोस तो नही होता
वह बोली- नही बड़ी खुशी होती अपनी मेहनत की कमाई अपने हाथों में पाकर, हमारा बस चले तो अबसे मै सभी लड़कियों को यही सलाह दूँ पहले हर लड़की को अपने पैरों पर खड़ा हो जाना चाहिए फिर अपने विवाह के लिए हामी भरनी चाहिए।
— डोली शाह

डोली शाह

1. नाम - श्रीमती डोली शाह 2. जन्मतिथि- 02 नवंबर 1982 संप्रति निवास स्थान -हैलाकंदी (असम के दक्षिणी छोर पर स्थित) वर्तमान में काव्य तथा लघु कथाएं लेखन में सक्रिय हू । 9. संपर्क सूत्र - निकट पी एच ई पोस्ट -सुल्तानी छोरा जिला -हैलाकंदी असम -788162 मोबाइल- 9395726158 10. ईमेल - shahdolly777@gmail.com