ये बात दीगर है कि चारागर को खुद ही पता न हो
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गीतिका
“गीतिका” नदियों में वो धार कहाँ से लाऊँ राधा जैसा प्यार कहाँ से लाऊँ कैसे कैसे मिलती मन की मंजिल आँगन में परिवार कहाँ से लाऊँ।। सबका घर है मंदिर कहते सारे मंदिर में करतार कहाँ से लाऊँ।। छूना है आकाश सभी को पल में चेतक सी रफ्तार कहाँ से लाऊँ।। सपने सुंदर आँखों में […]
ग़ज़ल
छोड़कर जब अना तू उभर जायेगा। बन के इन्सां तू बेशक संवर जायेगा।। करके आँखों को तू बंद कर ले यकीं। इश्क है तुझसे तो वो किधर जायेगा।। याद आयी जो तेरी तेरा फिर सनम। जग भुला कर तेरे ही शहर जायेगा।। कुछ दिनों की है ये रात काली फकत। दिन निकलते ही मौसम गुजर […]
मुतल्ला गजल
जान लेंगी मेरी आज ये हिचकियां याद आती रही वस्ल की मस्तियां रास आने लगी जब से तन्हाइयां फुसफुसाती रही रात भर आंधियां कोई जाने हमारी न मजबूरियां दूर रहकर बनाई हैं नजदीकियां उम्र दर उम्र करते रहे गलतियां जान कर भी बजाते रहे तालियां इश्क में बारहा लग चुकी अर्जियां पर हुई इश्क में […]