कहानी

समाधान

राम लाल की पत्नी सुनंदा के गुजर जाने के बाद उनका पुत्र राजेश उन्हें अपने पास शहर में ले आया था। और घर की ऊपर की मंजिल में बने एक कमरे में  उनके रहने की व्यस्था कर दी थी। किंतु  राजेश की पत्नी रमा को ये बात फूटी आंख नहीं सुहा रही थी। रोज़ रोज़ कुछ ना कुछ कलह होता रहता था, जिसका मकसद ससुर जी को वापस भेजना ही था। इस कारण राजेश बहुत तनाव में था।
एक दिन पिता ने गांव वापस जाने की इच्छा जताई। राजेश ने मना किया किन्तु रमा तो बहुत खुश हो गई। इधर रमा ने उस कमरे को किराए पर उठाने के लिए एक ब्रोकर से बात भी कर ली जिसमे पिता जी रहते थे।  ताकि पिता जी कहीं वापस जाने का इरादा बदल ना दें।
राम लाल ने रमा से कहा की कमरा ब्रोकर के  द्वारा किराए पर उठाने पर कमीशन भी देना होगा। मेरे मित्र अपने किसी अन्य मित्र के लिए कमरा ढूंढ रहे हैं कहो तो बात करूं। लोभी रमा ने तुरंत हां कर दी। पिता ने कहा बहू मेरे मित्र रजनीश कुमार जी पूछ रहे थे की अगर किरायदार को पेइंग गेस्ट बना लो तो वो  ज्यादा रकम दे सकते हैं। बोलो तुम्हारी क्या राय है।
रमा ने कहा ठीक है किंतु जो घर में बनेगा वही सब खाना पीना मिलेगा। आप पूछ ले मुझे कोई ऐतराज नहीं है। चार पैसे तो मिलेंगे। अब अगले हफ्ते रामलाल जा रहे थे और उसी दिन शाम को नया पेइंग गेस्ट आ रहा था। अब चुकीं रजनीश कुमार जो की राम लाल के मित्र थे वही मकान में पेइंग गेस्ट ला रहे थे। तो राजेश और रमा  बेफिक्र  थे। और उन्होंने कोई ज्यादा पूछताछ भी नही की थी। रजनीश कुमार जी ने 1 महीने का भाड़ा और डिपॉजिट भी दे दिया था। रमा बहुत खुश थी कि ससुर से छुटकारा मिला और आय का नया स्रोत भी मिल गया।  पिता जी के जाने के बाद रजनीश कुमार ने रमा से चाभी लेकर ऊपर वाले कमरे में नए किरायेदार को शिफ्ट करवा दिया।
शाम को जब राजेश घर आया तो देखा रमा बहुत खुश थी। और रसोई से अच्छी खुशबू आ रही थी। राजेश कुछ उदास था पिता के जाने से। इसलिए उसने  व्यंग में कहा कि क्या मेरे पिता के जाने की खुशी में इतना स्वाद पूर्ण खाना बनाया है। रमा ने कहा ऐसा नहीं है। आज नए पेइंग गेस्ट का पहला दिन है इसलिए थोड़ा बहुत कुछ बना लिया है। अब जाकर उन्हें खाने के लिए बुला लाओ और इसी बहाने उनसे मिल भी लेना मैं तो अभी तक मिली नही हूं।
राजेश बेमन से ऊपर गया दरवाजा खटखटाया, तो दरवाजा उसके पिता ने ही खोला। राजेश को बहुत अच्छा लगा किंतु अगले ही पल उसका चेहरा शर्म से झुक गया। पिता ने कहा राजेश तुम दुखी मत हो। मैं हर महीने किराया समय पर दूंगा। अब बहू को कोई शिकायत भी नहीं होगी। रजनीश कुमार ने मुझे एक लाइबेरी में केयर टेकर का काम दिला दिया है। काम के साथ साथ पढ़ने को किताबे भी मिलेगी और पैसा भी मिलेगा। और हम सब साथ में शांति से रहेंगे।  तेरी मां की आत्म भी खुश होगी। तू परेशान मत हो। इस समस्या का इससे अच्छा कोई समाधान नहीं हो सकता था। किन्तु राजेश सोच रहा था कि ये कैसा समाधान है वास्तव में पिता का पुत्र के साथ रहना कोई समस्या होनी ही नहीं चाहिए थी.
— प्रज्ञा पांडेय मनु

प्रज्ञा पांडे

वापी़, गुजरात