रूठ गई धरती
ताल तलैया सूख गये सारे
क्यूं रूठ गई है धरती हमारे
क्या हो रहा है ओ भगवान
रक्षा करो अब हे कृपा निधान
नदियों में अब नीर नहीं बहती
पर्वत से झरना ना अब झरती
क्या हो रहा है ओ भगवान
रक्षा करो अब हे कृपा निधान
फैशन का कैसा युग है। आया
तन पे कपड़ा छोटा हो पाया
क्या हो रहा है ओ भगवान
रक्षा करो अब हे कृपा निधान
मात पिता की अहमियत भूला
बड़े बुजुर्ग की शामत का झूला
क्या हो रहा है ओ भगवान
रक्षा करो अब है कृपा निधान
गुरू शिष्य की रिश्ता है अमृत
कर रहा चालबाज इसे कलंकित
क्या हो रहा है ओ भगवान
रक्षा करो अब हे कृपा निधान
धर्म की बात पर चल रहा मंथन
अधर्म की दरिया में डूबा तन मन
क्या हो रहा है ओ भगवान
रक्षा करो अब हे कृपा निधान
बहन बेटियॉ की अस्मत क्यूं लुटती
शाषण प्रशाषण क्यूं नहीं जगती
क्या हो रहा है ओ भगवान
रक्षा करो अब हे कृपा निधान
वृद्धा आश्रम माता पिता है पलता
नालायक बेटा क्यूं ना समझताI
क्या हो रहा है ओ भगवान
रक्षा करो अब हे कृपा निधान
— उदय किशोर साह