कविता

/ सत्य की खोज़ में…. /

फैलें दुनिया में निर्मल संघ
सत्य की खोज़ें जारी रहें
अंगुली मालों को बदलने की शक्ति
हर बुद्ध के अधीन में आ जावें
निकलें हर दिल से सुख विचार
शांति दें संसार को सत्संग
विहार, मंटप हों जहाँ-तहाँ
मिले लोग एक दूजे मित्रवत
साधना के बगैर निकले कहाँ
सुविचार, भाईचारे का भरमार
खुले आसमान हो जहाँ मन
होता नहीं वहाँ कोई दुष्चिंतन
इंसानों के बीच अरमानों का उलझन,
असफल हैं हम मानव के इस जग में
सुख – शांति के साथ जीने में यहाँ,
अस्पष्ट है जिंदगी, न कोई निर्दिष्ट अर्थ
कभी सच है तो कभी झूठ है यह जिंदगी
अपने आपको छिपाकर चलना
सबसे बड़ी तरीका बन गयी, बुद्धिमानों की,
जाल बिछाकर अहाय जनता को
अपना अधीन लेने में सक्षम बनने लगे
अधिकार का दाह, आधिपत्य का मोह
रुकने का नाम नहीं लेता यही सत्य है।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।