गीतिका/ग़ज़ल

आदत हो गई

मशहूर होने की इस दिल को जरा आदत हो गई,
खुद को देखने की अखबार में जरा चाहत हो गई|
प्रतिदिन भेजना रचनाएं दिनचर्या का अभिन्न अंग
छप ना पाए गर वो तो,  ना जाने क्यों आहत हो गई|
संपर्क सूत्र संपादक का कई लोग देना चाहते नहीं
बस इस बात पर क्यों परेशान, मैं भला बाबत हो गई|
जिसके  हिस्से  में  जो  है  वह  तो  मिलना तय ही है
यह सोच  कर  अब  सुकून  और जरा  राहत हो  गई|
नि:स्वार्थ भाव से अपने कर्म पथ बस पर बढ़ता चल
देखना तुझ पर इक  दिन उसकी, कैसे रहमत हो गई||
इत उत ढूंढे क्यों तू मीरा, तुझ में तो खुद वो  है निहित
तेरे हौसले के आगे जलने वालों की,  शिकस्त हो गईl
— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com