क्षणिका

पुनर्जन्म

जब भी मैं कुछ नया सोचती हूं,
जब भी किसी नए विचार का निर्माण करती हूं,
तब-तब मेरा पुनर्जन्म होता है.
हर एक नये विचार रूपी पौधे को
जब भी मैं सींचती हूं,
वह मेरे जीवन के पुनर्जन्म की
एक नई प्रक्रिया होती है,
हर नया सृजन
मेरे जीवन को एक नया आयाम देता है,
नया दृष्टिकोण देता है,
तब मेरा पुनर्जन्म होता है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244