गीत/नवगीत

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस

रोज सवेरे , घूमने जाएं
खुली हवा का, लुफ्त उठाएं
नियमित, दिनचर्या अपनाएं
तन और मन को , स्वस्थ बनाएं
योग करना, न भूल जाएं।।

बेशक राह ,आसान न होगी
मुश्किलें डगर में, खड़ी मिलेंगी,
मौसम रोड़े, अटकाए यदि
सुबह नही तो, शाम को जाएं
योग करना , न भूल जाएं।।

खुद को बंदिशों, में क्यों जकड़े
भागती उम्र को, कसकर पकड़े
उम्र जो फिर भी, हाथ न आए
जितनी है उसमें, प्रसन्न हो जाएं
योग करना, न भूल जाएं ।।

हंस कर सबका,अभिवादन कर लें
नयी भोर का, स्वागत कर लें
पक्षियों का , कोलाहल सुनकर
हम भी फूलों सा, खिल जाएं
‌ योग करना, न भूल जाएं ।।

अच्छी सेहत, सबसे बड़ी नियामत
इससे बढ़कर, न दूजा कोई सुख
खुद को ही, इसे संभालना होगा
और किसी से, क्यों आस लगाएं
योग करना, न भूल जाएं ।।

दोस्तों यारों से, मिलते रहें हम
किस्से कहानियां, गढ़ते रहें हम
ज्यादा वाद-विवाद , में न पड़कर
मुस्कराते हुए, समय बिताएं
योग करना, न भूल जाएं ।।

योग प्राणायाम के, हम हैं प्रणेता
सदियों से विश्व, के हम हैं नेता
पाश्चात्य संस्कृति,की चकाचौंध में
अपनी संस्कृति को, न बिसराएं
योग करना, न भूल जाएं।।

अवसर है विश्व, योग दिवस का
भारतीयता पर, गर्व करने का
ध्यान प्राणायाम के,मर्म को समझें
जगत को योग की, शक्ति समझाएं
योग करना, न भूल जाएं ।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई