कविता

हम हिंसा नहीं करते

हम सब मानव हैं ये तो पता है
पर क्या हमें ये भी पता है
कि हम धरती के सबसे बुद्धिमान प्राणी हैं
बिल्कुल पता है
और यही नहीं हम संवेदनशील भी हैं
ये भी हम जानते हैं
सबके दु:ख दर्द समझते हैं
तभी तो किसी प्रकार की हिंसा नहीं करते।
इंसान हैं तो इंसानियत का धर्म भी निभाते हैं
हर जीव में ईश्वर का अंश देखते हैं
उससे प्यार करते, उसका सम्मान करते हैं
उसकी रक्षा करते और उसके विकास में
अपना यथोचित प्रयास करते हैं,
उसे भी फलने फूलने संवरने के साथ
निश्चिंतता से जीवन जीने देते हैं,
हम किसी तरह की हिंसा नहीं करते हैं
और न किसी को करने देते हैं
हर प्रकार की हिंसा से हम
फासला बना कर चलते हैं
तभी तो हम मानव कहलाते हैं
जानवर हो या पशु पक्षी
पेड़ पौधे हों या कीट पतंगे
जलचर, थलचर या नभचर हो
सबसे रखते आत्मीय अपने रिश्ते।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921