कविता

माँ का दूध अमृत समान!

माँ का दूध अमृत समान,

नवजात का सौभाग्य स्तनपान,

भरपूर पोषण, प्रेम लबालब,

दुलार सराबोर, प्रभु वरदान।।

सुधा धार बहती नेह, ममत्व की,

शिशु दुग्धपान से सुखसागर की,

मातृत्व परमानन्द एहसास कराती,

आलिंगन में धनसंपदा कुबेर की।।

स्नेह, विश्वास से नाता जुड़ता,

रक्तबन्ध दुग्घ रूप सुहाता,

प्रभु प्रतिकृति माँ जगतजननी,

सींचती बालमन, शील, शुचिता।।

संस्कार बीज मन में बोती,

नितिनियम सकल भान कराती,

सकल जीवों से हो विश्वमैत्री,

प्रेम भाव से रहना सिखाती।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८