बाल कविता

उड़ी पतंग!

लहराती पतंग झूम-झूम,

नीले आसमां को चूम-चूम,

बादलों संग इतराती,

इधर-उधर, नाचे घूम-घूम।।

साथियों संग गुनगुनाती,

डोर संग सहर्ष बंध जाती,

उड़ी उड़ी पतंग देखो ऊँची,

सुन्दर, रंगबिरंगी, इठलाती।।

धूम मचाओ मिलजुलकर,

जिओ सदा खिलखिलाकर,

कहती पतंग, साथ न छोड़ो,

पथ पथरीला, चलो संभलकर।।

जीवन हैं छोटा सा जानो,

एकता में बल हैं, मानो,

आज का आनंद,भविष्य उज्जवल ,

जीवन का सौंदर्य पहचानो।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८