कविता

आजादी के दीवाने

आजादी के दीवानों ने सहर्ष,

किया अनवरत कठिन संघर्ष,

हंसते हंसते प्राणों की दी आहुति,

माँ भारती को गुलामी से मुक्ति।।

लड़ते रहे लहू की अंतिम बूँद तक,

लड़ते रहे, सांसों की सरगम जबतक,

बर्फीली चोटियों पर नित अडिग रहें,

सीमा प्रहरी, राष्ट्र कर्म लीन अंत तक।।

परचम जीत का फहराते सपूत वीर,

खेल, विज्ञान, ध्यान, योग साधक धीर,

भारत माता का जय कारा दाही दिशा,

नव चेतना ले आती रुमझुम प्राची से उषा।।

भारतीय संस्कृति का गौरव करें विश्व,

माँ भारती का आदर-सम्मान करें विश्व,

बल-बुद्धि, शक्ति, भक्ति, शौर्य, साहस,

दौड़े निरंतर, साथ ले सब को, विकास-अश्व।।  

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८