कविता

मित्रता दिवस

सखा, मित्र हमारे, साँचे हमराज,
दिल की बात करे, छुपाये न कोई राज।।

पथरीली हो राह, चले हरदम साथ,
दोस्ती निभाये, छोड़े न मंझधार हाथ।।

डाँट लगाये अधिकार से, करे प्यार भी,
अर्थ, पद, प्रतिष्ठा भेद न आये कभी।।

मिलजुलकर, रहते हर हाल में,
कभी खुशी छाँव, कभी गम की धूप में।।

परछाई भी न दे साथ, तब कांधे पर रख हाथ,
दोस्त वही, मुसीबत में अटल चट्टान सा दे साथ।। 

निःस्वार्थ प्रेम दीप, बहे स्नेह गंगा पावन,
मित्र मेरा, मेरा हितैषी, मेरा प्रिय, मनभावन।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८