कविता

धन्यवाद

मेरे शुभचिंतकों को,
निंदकों को धन्यवाद।
जिन्होंने मुझे हराया,
जिन्होंने मुझे जिताया,
उनको भी धन्यवाद।
किसी को चाहे न रहूं मैं याद,
पर मेरी यादों में रहने वाले,
हर शख्स को धन्यवाद।
धन्यवाद इसलिये क्योंकि कोई गिराता नहीं,
तो मैं संभलना नहीं सीखती।
कोई मुझे हराता नहीं,
तो मैं जीत का सपना नहीं बुनती।
मुझे मेरे लक्ष्य तक पहुंचाने वाले,
मेरे सच्चे मित्रों तुम्हें,
कोटि-कोटि धन्यवाद।
— अंकिता जैन ‘अवनी’

अंकिता जैन 'अवनी'

लेखिका/ कवयित्री अशोकनगर मप्र jainankita251993@gmail.com