हास्य व्यंग्य

स्वर्ग नरक कवि रत्न

राष्ट्रीय हिन्दी दिवस के अवसर परविभिन्न संस्थाओं और साहित्यिक पटलों परहिंदी दिवस विशेष का आयोजन किया गयादस बारह पटलों और दो चार संस्थाओं नेमुझे भी बतौर अध्यक्ष, मुख्य अतिथि आमंत्रित किया।कुछ जगह उपस्थित हुआतो कुछ जगह समय और नेटवर्क का बहाना बना दिया।पर आपको पता नहीं होगाक्योंकि वहाँ का आमंत्रणआप में से किसी को तो मिला ही नहीं होगा,और मिलेगा भी नहींक्योंकि मेरी सहमति के बिनावहां किसी को अवसर मिलेगा ही नहीं।यमराज साहित्यिक मंच के आयोजन मेंमुझे बतौर अध्यक्ष मुझे यमलोक बुलाया गयाआने जाने के लिए अपाचे हेलीकॉप्टरससम्मान उपलब्ध कराया गया,आवभगत ऐसा कि पुछिए मत,स्वर्ग नरक के कवियों कवयित्रियों का बड़ा जमघट थाधरती का मैं ही एक मात्र आमंत्रित कवि थाऊपर से यह भी कि विशेष आग्रह के साथ मुझे बुलाया गया था।सारे देवी देवता विशिष्ट अतिथि थेउनके लिए भी तो हम ही सबसे श्रेष्ठ थे।सब मुझसे दो चार बातें करने को लालायित थे,आगे मुझे घूम रहे थेमौके की नजाकत समझ रहे थे,अपना अपना जुगाड़ बैठा रहे थेमेरे दर्शन मात्र को अपना सौभाग्य मान रहे थे।पर यमराज बड़ा समझदार निकलानारद जी को हाटलाइन से आमंत्रण भेजानारद जी जैसे इसी इंतजार में थेबिना ना नुकुर के हाजिर हो गये ,शानदार आयोजन के लिए यमराज की तारीफों के पुल बांधे जा रहे थेमेरी उपस्थिति को यमराज का भौकाल बताजैसे देवी देवताओं को आइना दिखा रहे थे,शायद वे भी यमराज के पाले में आ गये थे।देवी देवता बेचैन हो रहे थेयमराज के आमंत्रण की अवहेलना न होइसीलिए सजधजकर सब आ गये थे।पर यमराज ठहरा मेरा पक्का चेलाअब बारी मुझे सम्मानित करने की थी सब इसी उधेड़बुन में लगे थे, अब यमराज क्या करेगा मन ही मन सोच रहे थे।तब तक यमराज ने नारदजी को मंच पर आमंत्रित कियाऔर मुझे सम्मानित करने कीघोषणा करने का अनुरोध किया।नारद जी भी जैसे जोश में आ गए,मुझे “स्वर्ग नरक कवि रत्न” से सम्मानित करने घोषणा कर गये।यमराज के मन में लड्डू फूट रहे थेसारे देवी देवता नारद जी को मन ही मन कोस रहे थे,देवी देवताओं को इस आयोजन में बुलाकरबेइज्जत करने के पीछे नारद की भूमिका देख रहे थे।पर नारद कुछ कम विचित्र नहीं लग रहे थेमुझे सम्मानित करने के लिए सारे देवी देवताओं को मंच पर बुला रहे थेफिर क्या था सारे देवी देवता मंच पर पधारेमुझे सम्मानित करने की होड़ में धक्का मुक्की करने लगे।यमराज हाथ जोड़ कर निवेदन करने लगाआप सब ऐसा न कीजिएमेरी इज्जत का जूलूस न निकालिए,चुपचाप जिसके लिए आप सब बुलाए गए हैंनारद जी के अनुसार वो काम कीजिएअध्यक्ष महोदय को सब मिलकर सम्मानित कीजिए।सारे देवी देवता शर्माने लगेचुपचाप मेरा सम्मान करने के लिए बारी बारी से आने लगे।अंत में स्वर्ग नरक कवि सम्मान की बारी आईमां शारदे तत्काल आगे आईंऔर मुझे सम्मानित कियामैं सचमुच धन्य हो गया, उनके चरणों में झुक गयाउन्होंने मुझे उठाया गले लगायाऔर अनगिनत आशीर्वाद दे डाला।धरती के सब पटल मिलकर जो न दे सकेयमराज और उसके आयोजन ने एक बार में हीवो सब कुछ दे दिया,जिसके सपने तक देखने की हिम्मत किसी में नहींमेरे तो वे सब सपने यकीनन सपने में ही पूरे हो गये,आप मानो न मानोगोण्डा के सुधीर श्रीवास्तव जीअब कवि रत्न सुधीर हो गये।चौंकिए मत हम आपकी या आपके पटल कीअथवा धरती की बात नहीं कर रहें हैं जनाब,हम तो यमराज की बात बता रहे हैंउसने मुझसे एक सलाह मांगी थीतो मैंने भी ईमानदारी से उन्हेंएक छोटी सी सलाह देकरयमराज साहित्यिक मंच बनवा दियाउसका प्रतिफल आज देखिए मिल गया।स्वर्ग नरक में हम एक साथ छा गये,अंगवस्त्र, श्रीफल और स्मृति चिन्ह के साथदेख लो कवि रत्न के साथ यमलोक से अभी अभी वापस आ गए।

*सुधीर श्रीवास्तव

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